Krishna's Motivational Hindi Wisdom for Success Seekers

Krishna Motivational Quotes In Hindi

मैं सभी जीवों में विद्यमान हूं, मैं चींटी में भी विद्यमान हूं और हाथी में भी विद्यमान हूं।
 व्यक्ति कर्म करने से कभी छुटकारा नहीं पा सकता है। इसलिए तुम्हें हमेशा कर्म करते रहना चाहिए क्योंकि कर्म के बिना तुम्हारे शरीर का निर्वाह भी नहीं हो सकता है।
मन, शरीर का हिस्सा है। सुख-दु:ख का एहसास करना आत्मा का नहीं शरीर का काम है। मान-अपमान, लाभ-हानि, गम और खुशी, सब मन का खेल है।
मैं हमेशा तुम्हारे साथ और तुम्हारे आसपास रहता हूं, चाहे तुम कुछ भी कर रहे हो।
मनुष्य उसके लिए शोक करता है, जो शोक करने के योग्य नही हैं और फिर भी ज्ञान की बातें करते हो। बुद्धिमान व्यक्ति ना जीवित और ना ही मृत व्यक्ति के लिए शोक करते हैं।

मोहग्रस्त होकर अपने कर्तव्य पथ से हट जाना मूर्खता है क्योंकि इससे ना तो तुम्हें स्वर्ग की प्राप्ति होगी और ना ही तुम्हारी कीर्ति बढ़ेगी।
 निर्बलता अवश्य ईश्वर देता है परंतु मर्यादा मनुष्य का मन खुद निर्माण करता है।
विषयों का चिंतन करने से विषयों की आसक्ति होती है। आसक्ति से इच्छा उत्पन्न होती है और इच्छा से क्रोध होता है। क्रोध से सम्मोहन और अविवेक उत्पन्न होता है।
अमीर बनने के लिए एक एक क्षण संग्रह करना पड़ता है, किन्तु अमर बनने के लिए एक-एक कण बांटना पड़ता है।
जन्म लेने वाले के लिए मृत्यु उतनी ही निश्चित है, जितना कि मृत होने वाले के लिए जन्म लेना। इसलिए जो अपरिहार्य है, उस पर शोक मत करो।

 जीवन में कभी निराश नही होना चाहिए क्योंकि कमजोर आपका वक़्त होता है आप नही।
वह सब कुछ करो जो तुम्हें करना है, लेकिन लालच से नहीं, अहंकार से नहीं, वासना से नहीं, ईर्ष्या से नहीं बल्कि प्रेम, करुणा, नम्रता और भक्ति के साथ।
जिस इंसान के चारों तरफ नकारात्मक लोग रहते हैं, उस इंसान का मंजिल से भटक जाना तय है।
बुरे ‘कर्म’ करने नहीं पड़ते हो जाते है, और अच्‍छे ‘कर्म’ होते नहीं करने पड़ते हैं।
राधा ने श्री कृष्ण से पूछा प्यार का असली मतलब क्या होता है? श्री कृष्णा ने हँस कर कहा, जहाँ मतलब होता है, वहाँ प्यार ही कहा होता है।

जीवन में कभी मौका मिले तो किसी के लिए सारथी बनना स्वार्थी नहीं।
असली ख़ुशी की कुंजी यहीं हैं कि अपने मन से इच्छाओं के बोझ को हल्का कर दो।
अपना दिल अपने काम पर लगाओ, इसके इनाम या परिणाम पर नहीं।
अगर आप किसी को छोटा देख रहे हो तो आप उसे या तो दूर से देख रहे हो या तो अपने भीतर के अहंकार से।
युद्ध हो या जीवन सफलता केवल तीन शस्त्रों से प्राप्त होती है धर्म, धैर्य और साहस।

उलझे भले ही इस दुनिया के झंझट में हो लेकिन, डूबे तो श्रीकृष्ण सिर्फ तेरे प्रेम में है।
जानते हैं हम हर चीज सीमा में बँधी ही अच्छी लगती है, क्या करें प्रेम इतना है कि तुझ संग लगन की सब सीमा तोड़ दी है हमने।
जब तक स्वास में स्वास है, मुझे तुझ पर विश्वास है, जब तक तेरा साथ है, मुझे ना किसी और की आस है।
पूछा जाने किस-किस से लेकिन तेरा पता कहीं मिला नहीं लेकिन, जब मिला तेरा पता तब मुझे दुनिया में खुद का भी पता नहीं।
हे श्री कृष्ण! आपका चिंतन इतना करूं के, अपनी चिंता भी आप पर छोड़ दूं।

दुनिया में चाहे कितने भी रंग हो, रंग तो श्री कृष्णा आपका मन चढ़ा है।
वह सब कुछ करो जो तुम्हें करना है, लेकिन लालच, अहंकार, वासना या ईर्ष्या से नहीं बल्कि प्रेम, करुणा, नम्रता और भक्ति से।
जो कुछ हुआ, अच्छे के लिए हुआ। जो हो रहा है, अच्छे के लिए हो रहा है। जो होगा, वह भी अच्छे के लिए ही होगा।
जिस इंसान के चारों तरफ नकारात्मक लोग रहते हैं, उस इंसान का मंजिल से भटक जाना तय है।
अपने अनिवार्य कर्तव्य का पालन करें, क्योंकि क्रिया वास्तव में निष्क्रियता से बेहतर है।

कल की फिक्र मत करो। जिस ईश्वर ने आजतक संभाला है, वह आगे भी संभाल लेगा।

श्री कृष्ण जी कहते हैं, "कठिन समय में समझदार व्यक्ति रास्ते खोजते हैं और कायर व्यक्ति बहाने।

हे कृष्णा तेरे सिवा कहां मिलता है कोई समझने वाला, जो भी मिलता है बस समझा कर ही चला जाता है।

 श्री कृष्ण कहते हैं, "अगर तुम्हें किसी ने दुख दिया है तो बुरा मत मानना, क्योंकि लोग उसी पेड़ पर पत्थर मारते है, जिस पेड़ पर ज्यादा मीठे फल होते हैं।

अहंकार तब उत्पन्न होता है,जब हम भूल जाते है कि प्रसंशा हमारी नही हमारे गुणों की की जा रही है।

जो मन को नियंत्रित नहीं करते, मन उन्हे नियंत्रित कर लेता है और उनके लिए वह शत्रु के समान कार्य करता हैं।
क्रोध से भ्रम पैदा होता है, भ्रम से बुद्धि व्यग्र होती है और जब बुद्धि व्यग्र होती है, तब तर्क नष्ट हो जाता है। जब तर्क नष्ट होता है, तब व्यक्ति का पतन हो जाता है।
 धर्मयुद्ध में कोई भी व्यक्ति निष्पक्ष नहीं रह सकता है। धर्म युद्ध में जो व्यक्ति धर्म के साथ नहीं खड़ा है, इसका अर्थ है वह अधर्म का साथ दे रहा है, वह अधर्म के साथ खड़ा है।
अगर कोई मनुष्य हमारे साथ बुरा कर रहा है, तो उसे करने दो। यह उसका कर्म है और समय उसके कर्म का फल उसे जरूर देगा। लेकिन हमें कभी भी किसी के साथ बुरा नहीं करना चाहिए क्योंकि यही हमारा धर्म है।
इच्छा पूरी नहीं होती तो क्रोध बढ़ता है और इच्छा पूरी होती है, तो लोभ बढ़ता है। इसलिये जीवन की हर स्थिति में धैर्य बनाये रखना।

मन से बनाएं इस भोग को, प्यार से करू मै अर्पण, तुम ही हो मेरे पालनहार, मेरा सब कुछ तुम को समर्पण।
पूजा आपके लिए है या प्रेम आपके लिए है, परंतु यह जो भी कुछ परोसा आपके लिए है, वह केवल और केवल बस आपके लिए है।
इस दुनिया में सब कुछ मोह माया हो सकती है परंतु, श्री कृष्णा आपके लिए प्यार और आंखों में आंसू सदैव सच्चे हैं।
हे श्री कृष्णा! आपसे प्रार्थना है मुझे कभी मत बिसराना, किसी और स्थान पर नहीं बस, अपने चरणों से दूर मत हटाना।
आपके स्मरण के साथ यह सुंदर दिन की शुरुआत करते हैं, कभी अपने हाथों से किसी का बुरा ना हो यह आपसे प्रार्थना करते हैं।